Monday, January 04, 2016

मैं तीसरा पराजित पक्ष हूँ

तुम्‍हारा सच
तुम्‍हारा झूठ
तुम्‍हारी तलवार
तुम्‍हारी ढाल
तुम्‍हारी ध्‍वजा
तुम्‍हारी यलगार
दुर्ग तुम्‍हारे
युद्धनाद तुम्‍हारे
विजय तुम्‍हारी
विजित तुम्‍हारे
संदेश तुम्‍हारे
तुम्‍हारे हरकारे

तुम्‍हारे इस एकाकी समर में,
मेरा प्रेम
तीसरा पराजित पक्ष भर है।
वो न बिगुल है न हथियार
वो युद्ध-संधियों की इबारत में भी
नहीं है दर्ज।

इस पक्ष का
यह संख्‍यावाचक विशेषण भी
मेरा चुनाव नहीं है
पराजय मेरा कुल हासिल है
इस विक्षत बेगाने युद्ध में।

तुम्‍हारी देह पर
वैजयंती से सजे युद्धघाव तक
मुझे ही आहत करते हैं
रहे तीसरे पक्ष के अनदेखे घाव 
किंतु वे दर्ज  होते नहीं
यद्धों के इतिहास में।

1 comment:

अजय कुमार झा said...

वाह माट साब ..बहुत अच्छे