Tuesday, January 19, 2016

मैं वहाँ नहीं था

मैं वहाँ नहीं था
जब ढो रहा था वो अपना सलीब
मैं वहां नहीं था
आखिर क्यों नहीं था मैं वहां
उसके हत्यारे पूछते हैं।
जब सबसे कमज़ोर थी तुम
खोजती थीं मुझे
तब मैं वहां नहीं था
आखिर क्यों नहीं था मैं वहां
कातर तुम्हारी चुप्पियाँ पूछती हैं
दर्द के ग्लेशियर पिघलकर
जब बन प्यार की नदी
आ टकराये थे तराई के पत्थरों से
तब मैं वहां नहीं था
पूछते हैं बेबस झूले वाले पुल
मैं था क्यों नहीं वहां
मैं वहां नहीं था
क्योंकि मैं था यहीं
पथरायी प्रतीक्षा में
प्रतीक्षा में थिर हो
जम जाना
शायद कुछ न हो जाना है।
वहां न होना
कुछ न होना ही है

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